सिंधु जल समझौते को निलंबित करने का साफ मतलब है कि भारत अब पश्चिमी नदियों यानी झेलम, चिनाब और सिंधु नदी के पानी को पाकिस्तान को इस्तेमाल नहीं करने देगा ?
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए पांच बड़े फैसले लिए हैं। कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी बैठक में सबसे बड़ा फैसला सिंधु जल समझौते को निलंबित करना, भारत ने कहा है कि पाकिस्तान जब तक आतंकवाद को समर्थन करना जारी रखेगा, भारत इस संधि को लागू नहीं करेगा। भारत के इस फैसले को पाकिस्तान के खिलाफ बड़ा प्रहार माना जा रहा है।दरअसल, पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रांत की 90 फीसदी खेती योग्य जमीन, पानी की जरूरतों के लिए सिंधु जल समझौते के तहत मिलने वाली पानी पर ही निर्भर है। ऐसे में अगर भारत चिनाब, झेलम और सिंधु जैसी नदियों के पानी को रोकता है तो पाकिस्तान में हाहाकार मच सकता है। पानी रोके जाने से पाकिस्तान की न सिर्फ खेती योग्य जमीन सूखने की कगार पर आ जाएगी, बल्कि पीने के पानी से लेकर बिजली परियोजनाओं को भी बड़ा झटका लगेगा। भारत के इस कदम से पाकिस्तान को आर्थिक बदहाली का दंश झेलना पड़ेगा। हालांकि, अब सवाल यह है कि क्या सिंधु जल समझौते को रद्द करना इतना आसान है? क्या भारत रातोंरात तीनों नदियों का पानी रोक सकता है? भारत को इन तीनों नदियों का पानी रोकने में कितना वक्त लगेगा? भारत ने सिंधु जल समझौते को निलंबित कर जो फैसला लिया है, उसका साफ मतलब है कि भारत अब पश्चिमी नदियों यानी झेलम, चिनाब और सिंधु नदी के पानी को पाकिस्तान को इस्तेमाल नहीं करने देगा, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह इतना आसान है? दरअसल, भारत के पास हाल-फिलहाल यह इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद नहीं है, जिससे इस पानी को रातोंरात पाकिस्तान पहुंचने से रोका जा सके। अगर भारत डैम बनाकर या पानी स्टोर करके ऐसा करता भी है तो जम्मू-कश्मीर और पंजाब जैसे राज्यों में भीषण बाढ़ आ सकती है। मौजूदा हालातों को देखें तो भारत ने तीनों पश्चिमी नदियों पर चार प्रोजेक्ट की योजना बनाई है| इसमें दो चालू हैं और दो की तैयारी चल रही है| भारत ने पाकिस्तान के हिस्से वाली चिनाब पर बगलीहार डैम और रतले प्रोजेक्ट शुरू किया है। चिनाब की एक और सहायक नदी मारुसूदर पर पाकल डुल प्रोजेक्ट और झेलम की सहयक नदी नीलम पर किशनगंगा प्रोजेक्ट शुरू किया है| इसमें से सिर्फ बगलीहार डैम और किशनगंगा प्रोजेक्ट चालू है। ऐसे में अगर भारत पाकिस्तान के हिस्से वाली तीनों नदियों का पानी रोकता है तो इसमें काफी वक्त लगने की संभावना है| दरअसल, इन तीनों नदियों से मिलने वाली लाखों क्यूसेक पानी के इस्तेमाल के लिए भारत को इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना होगा। यही बात पाकिस्तान एक्सपर्ट तथा पाकिस्तानी नेताओं का कहना है कि भारत रातोंरात सिंधु जल समझौते से मिलने वाले पानी को रोक नहीं सकता है और ऐसे में उनके पास भारत के इस फैसले के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने का पर्याप्त समय होगा।

सिंधु जल समझौता : भारत और पाकिस्तान ने 1960 में सिंधु जल प्रणाली की नदियों के पानी के इस्तेमाल को लेकर एक समझौता किया था। इस समझौते के तहत तीन पूर्वी नदियों सतलज, ब्यास और रावी नदी का पानी भारत इस्तेमाल कर सकता है। वहीं, पश्चिमी नदियां झेलम, चिनाब और सिंधु के पानी पर पाकिस्तान को अधिकार दिया गया। यहां गौर करने वाली बात यह है कि सिंधु जल समझौते के तहत भारत ने पाकिस्तान के साथ जो समझौता किया, उसमें पूरी नदी प्रणाली का सिर्फ 20 फीसदी पानी ही अपने पास रखा, भारत ने शांति के बदले पाकिस्तान को 80 फीसदी पानी पाकिस्तान को इस्तेमाल करने दिया।
