14 अप्रैल राष्ट्रीय अग्निशमन सेवा दिवस पर विशेष, भिलाई इस्पात संयंत्र की फायर ब्रिगेड की सेवा और साहस की निर्विवाद गाथा …..

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भिलाई 10 अप्रेल: सेल भिलाई इस्पात संयंत्र की फायर ब्रिगेड वह मौन शक्ति है, जो न तो अपने कार्य के लिए प्रशंसा की आकांक्षा रखती है, किंतु जब भी संकट आता है, वह समर्पण, तत्परता और अदम्य साहस के साथ सबसे पहले सामने होती है। छत्तीसगढ़ की औद्योगिक पहचान के रूप में स्थापित सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र, जहां लौह इस्पात का निर्माण होता है, वहीं उसके भीतर कार्यरत यह अग्निशमन इकाई एक अलग ही प्रकार का ‘फौलाद’ गढ़ती है—जो आत्मबल, तकनीकी दक्षता और मानव सेवा के संस्कारों से निर्मित है। मध्य भारत की सबसे सशक्त अग्निशमन सेवा केन्द्र, जो अन्याधुनिक तकनीक और संसाधनों से सुसज्जित है, जब भी कोई संकट आता है भिलाई अग्निशमन सेवा केन्द्र तत्काल अपनी सेवाएं उपलब्ध कराती है। ट्रांसफॉर्मर यार्ड में घटी आग की वह बड़ी घटना है, जहां संयंत्र से बाहर निकलकर इस फायर ब्रिगेड ने आठ घंटे तक निरंतर कार्य करते हुए न केवल आग पर नियंत्रण पाया, बल्कि एक संभावित भीषण आपदा को टाल दिया।इस फायर ब्रिगेड की सबसे बड़ी ताकत है—इसका मानवीय पक्ष। यहां कार्यरत अग्निशमन कर्मियों के लिए कोई दिन, कोई रात, कोई सीमित जिम्मेदारी नहीं होती। उनके लिए हर वह क्षण सेवा का अवसर है, जब कहीं भी किसी जीवन पर संकट मंडरा रहा हो। संयंत्र द्वारा संचालित प्रशिक्षण कार्यक्रमों का प्रभाव भी संयंत्र के कर्मचारियों और नागरिकों के जीवन पर व्यापक है। इन कक्षाओं के माध्यम से संयंत्र कर्मचारी ही नहीं, आम नागरिक भी अग्नि सुरक्षा के प्रति सजग होते हैं। यही सजगता उन स्थायित्वपूर्ण परिवर्तनों को जन्म देती है, जिनके परिणामस्वरूप आज संयंत्र में फायर कॉल की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है।आंकड़ों के पीछे की सच्चाई यह है कि प्रशिक्षण, जागरूकता, सतर्क निरीक्षण, और आधुनिक संसाधनों के एकीकृत प्रयोग से अब फायर ब्रिगेड केवल ‘रिएक्टिव एजेंसी’ नहीं रह गई है, बल्कि यह एक ‘प्रिवेंटिव सिस्टम’ के रूप में परिवर्तित हो चुकी है। संयंत्र में अग्निशमन की तकनीकी दक्षता और मानवीय प्रतिबद्धता, दोनों का समन्वय एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है कि जब संसाधन और सेवा भाव साथ चलते हैं, तब सुरक्षा केवल एक प्रशासनिक दायित्व नहीं, बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व बन जाती है।इस समय, जब औद्योगिक सुरक्षा की परिकल्पनाएं बदल रही हैं और संकट प्रबंधन को केवल उपकरणों की दृष्टि से नहीं, बल्कि समग्र रणनीति के रूप में देखा जा रहा है, तब भिलाई इस्पात संयंत्र की फायर ब्रिगेड एक ऐसा मॉडल प्रस्तुत करती है, जिसकी पुनरावृत्ति देश के अन्य औद्योगिक संस्थानों में की जानी चाहिए। यहां कर्मियों का हर कदम यह बताता है कि साहस केवल जोखिम उठाने में नहीं, बल्कि जोखिम को सोच-समझकर नियंत्रित करने की क्षमता में है।

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